सुलतानगंज (अंग्रेजी: Sultanganj) भारत केरौ बिहार राज्य के भागलपुर जिला मँ स्थित ऐगो ऐतिहासिक स्थल छेकै। ई गंगानदी के तट प बसलो छै। यहाँ बाबा अजगैबीनाथ के विश्वप्रसिद्ध प्राचीन मन्दिर छै। उत्तरवाहिनी गंगा होय के कारण सावन के महीना मँ लाखोंं काँवरिया देश केरौ विभिन्न जगह सँ गंगाजल भरै लेली यहाँ प आबै छै । ई गंगाजल झारखंड राज्य के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ क चढाबै छै। बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों मँ एक मानलौ जाय छै। सुलतानगंज हिन्दू तीर्थ के अलावा बौद्ध पुरावशेषो सब लेली भी विख्यात छै। सन १८५३ ई० मँ रेलवे स्टेशन के अतिथि कक्ष के निर्माण के दौरान यहाँ सँ मिललौ बुद्ध के लगभग ३ टन वजनी ताम्र प्रतिमा आय बर्मिन्घम म्यूजियम, इंगलैंड मँ रखलौ छै। विस्तार सँ...
मंदार पहाड़ भागलपुर सँ ४८ किलोमीटर के दूरी प छै,जे कि अबै बाँका जिला मँ स्थित छै। ऐकरो उंचाई ८०० फीट छै । ऐकरा संबंध मँ कहलौ जाय छै कि ऐकरौ प्रयोग सागर मंथन मँ करलौ गेलौ छेलै । किंवदंती सब के अनुसार ई पहाड़ी के चारों तरफ सँ आय भी शेषनाग के चेन्हौ क देखलौ जाबअ सकै छै । जेकरा कि ऐकरा चारों ओर बांधी क॑ समुद्र मंथन करलो गेलो छेलै, कालीदास के कुमारसंभवम म॑ पहाड़ी प॑ भगवान विष्णु के पदचिन्ह के बारे में बतैलोऽ गेलोऽ छै, ई पहाड़ी प॑ हिन्दू देवी देवता के भी मंदिर छै,ई मानलो जाय छै कि जैन के १२वां तीर्थंकर न॑ ई पहाड़ी प॑ निर्वान क॑ प्राप्त करने छेलै, लेकिन मंदार पर्वत के सबसे बड़ो॔ विशेषता ऐकरा चोटी प॑ स्थित झील छै, ऐकरा देखै लिली दुर-दुर स॑ लोग आबै छै, पहाड़ी के ठीक नीचे॑ऽ ऐगो पापहरनी तलाब छै, ई तलाब के बीच म॑ ऐगो विश्रु मंदिर ई द्रिश्य क॑ बहुत सुंदर बनाय छै, यहां जाय बास्ते॑ भागलपुर स॑ बस आरु रेल सुविधा उपलब्ध छै।(विस्तार सँ पढ़ौ...)
लैटिन एगो भाषा के नाँव छेकै, इ पौराणिक भाषा मँ सँ एक छै। लैटिन मूल रूप स॑ वर्तमान रोम के आसपास निचला टाइबर क्षेत्र (जेकरा तहिया लैटियम के नाम स॑ जानलऽ जाय छेलै) म॑ बोललऽ जाय वाला बोली छेलै लेकिन रोमन गणराज्य केरऽ शक्ति के माध्यम स॑ ई इटली केरऽ क्षेत्र म॑ आरू बाद म॑ पूरा रोमन साम्राज्य म॑ प्रमुख भाषा बनी गेलै । पश्चिमी रोम के पतन के बाद भी लैटिन 18वीं सदी के बहुत हद तक यूरोप मँ अंतर्राष्ट्रीय संचार, विज्ञान, विद्वता आ शिक्षाशास्त्र केरौ आम भाषा बनलौ रहलै, जेखनी आम शैक्षणिक मँ अन्य क्षेत्रीय लोकभाषा (जेकरौ अपनौ वंशज, रोमांस भाषा सब भी शामिल छेलै) एकरौ स्थान लेली आरो राजनीतिक प्रयोग, आरो अन्ततः आधुनिक भाषि क परिभाषा मँ ई एगो मृत भाषा बनि गेलै।
{{आज का आलेख त्रुटि: "एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"" मान्य अंक नहीं है। अगस्त २०१०}}