अंगिका लोकगीत एगो रंग कें लोकसाहित्य होवे छे[]। ई रंग कें गीत बेसी करी क जनानी सन्ही साथें मिली गाय छे[]। से कहलो जाय सके की ई रंग कें गीत एगो जनानी नय तें एगो मरद बारे नय होवे छे, ई सामूहिक चेतना बारे होवे छे। ई रंग कें गीत सामज कें दिक्कत, दूख, सूख, डॉर, खुसी बारे होवे छे। लोकगीत चाहे एक्के गो जनानी चाहे मरद गावे, ई बेसी करी समाज बारे होवे छे। एगो बात योहो देखलों जाय छे की लोकगीत बेसी करीक जनानी सन्ही गाय छे। हेकरा पीछें ई बात होवे पारे की औरत सन्ही अप्पन दूख सूख बारे गाय कें अप्पन ढाढ़स बांधे छे।

अंगिका लोकगीत केरौ रंग

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'मईय्या सुनतन चंडी पाठा हे' अंगिका लोकगीत

अंगिका लोकगीत कें भेद बहुत रंग कें होवे छे। दू गो सबसे बड़को स्रेनी छे 'मुक्तक' आरो 'प्रबंधात्मक' गीत। अंगिका मुक्तक लोकगीत ढेर टुकरा म बंटलों छे, हेक्कर पाँच प्रमुख भेद छे: धार्मिक गीत, संस्कार विषयक गीत, महवारी गीत, बालगीत, विविध प्रसंगोक गीत। धार्मिक गीत कें दो रंग होवे छे: देवीगीत आरो देवता गीत, प्रबंधात्मक गीत कें दो टुकरा छे, धार्मिक गीत आरो ऐतिहासिक गीत। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद कें छापलो 'अंगिका संस्कार गीत' कें हिसाब सें अंगिका लोकगीत कें ई ई प्रकार छे[]: 1. सोहर (खेलवना, पीपर-पिलाई, छठी पूजन, आँख-अनजाई, बधेय्या), 2. मुंडन, 3. जनेऊ (मंडप, जनेऊ, घीढारी), विवाह (तिलक, कुमार, लगन, चुमावान, गोससवान, सांझा, उबटन, मटकोर, पानी-भराई, मंडवा, लावा भुंजाई, आम बिहा, घीढारी, शिव विवाह, राम विवाह, बेटा विवाह, नहछु, बनना, सहाना, टोना, सेहरा, इमली घोटाई, सिहर भराई, चलन्ती, झाड़नी, बेटी विवाह, बिलौकी, जोग, जोग मंगाई, परछिन, ओठंगर, भाँवर, कमर खोलाई, संख पानी, दान, वेदिका, लावा छीटाई, कंगन बंधाई, अंगूठा पकड़ाई, सिंदूरदान, आशीष, सोहाग, द्वार छेंकाई, कोहबर, खीर खिलाई, पनकट्टी, पचीसी, जेंवार, डहकन, घोघटा, कन्या निरीक्षण, पतोह परछिन, खोयंछा झड़ाई, गौना)।

संदर्भ

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  1. १.० १.१ https://dramrendra.com/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%9C/
  2. https://books.angika.com/2020/11/angika-kitab-angika-lok-geet-Indubala.html?m=1