एडमंड हिलेरी

न्यूज़ीलैंड केरऽ एगो अन्वेषक

एडमंड हिलारी (बिलायत म॑ सर एडमंड हिलारी) (19 जुलाई 1919 -11 जनवरी 2008) न्यूज़ीलैंड केरऽ एगो प्रमुख अन्वेषक रहै। एडमंड हिलारी आरू नेपाल केरऽ तेन्जिङ नोर्गे शेर्पा दोनऽ विश्व केरऽ सर्वोच्च शिखर सागरमाथा पर पहुंचै वालै प्रथम लोग रहै। पेशे से वे एक मधुमक्खी पालक थे। उन्हे नेपाल और विलायत मे बहुत सम्मान दिया गया। उन्होनें नेपाल तथा सागरमाथा के पास रहने वाले शेर्पा लोगों के जीवनस्तर के विकास तथा अन्य बहुत क्षेत्रों मे योगदान दिया है।

सर एडमण्ड हिलेरी

२००६ में हिलेरी
जन्म (1919-07-20)20 जुलाई 1919एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"
ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
मृत्यु 11 January 2008(2008-01-11) (aged 88)
ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
जीवनसाथी लुई मरी रोज़ (1953-1975)
जून मलग्रियु (1989-2008)
बच्चे पीटर (1954)
सारा (1955)
बेलिंडा (1959-1975)
माता-पिता पर्सिवल अगस्तस हिलेरी
जर्ट्र्यूड हिलेरी, नी क्लार्क

जुलाई 20, 1919 को न्यूजीलैंड मे जन्मे सर एडमंड हिलेरी, केजी, ओएनजेड, केबीई, एक पर्वतारोही एवं खोजकर्त्ता थे। एवरेस्ट शिखर पर सर्वप्रथम पहुंचकर सुरक्षित वापस आने वाले हिलेरी एवं शेरपा तेन जिंग नोर्वे ही थे जिसे उन्होंने मई 29, 1953 को पूरा किया। वे लोग जॉन हंट के नेतृत्व में एवरेस्ट पर 9वीं चढ़ाई में भाग ले रहे थे।

 
१९५७ में एडमंड हिलारी

वर्ष 1950, 1960-61 तथा वर्ष 1963-65 के अपने अभियानों में हिलेरी ने हिमालय के 10 अन्य शिखरों पर चढ़ाई की। जनवरी 4, 1958 को न्यूजीलैंड प्रभाग का नेतृत्व करते हुए कॉमनवेल्थ अन्टार्कटिका पार यात्रा में भाग लेते हुए वे दक्षिणी ध्रुव पर भी पहुंचे। वर्ष 1977 में गंगा नदी के मुहाने से इसके उद्गम तक की यात्रा जेटबोट पर जाते हुए उन्होंने जत्थे का नेतृत्व भी किया। वर्ष 1985 में हिलेरी नील आर्मस्ट्रांग के साथ आर्कटिक महासागर के ऊपर एक छोटे दो इंजन युक्त वायुयान से उत्तरी ध्रुव पर भी उतरे। इस प्रकार दोनों ध्रुवों पर एवं एवरेस्ट पर जाने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे। उसी वर्ष हिलेरी को भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश के लिये न्यूजीलैंड का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया जहां वे साढ़े चार वर्षों तक रहे।

उन्होंने अपने जीवन का बड़ा भाग हिमालयन ट्रस्ट के द्वारा नेपाल के शेरपाओं की सहायता में बिताया। इस ट्रस्ट की स्थापना उन्होंने स्वयं की थी और अपना काफी समय एवं श्रम इसमें लगाया था। हिमालय के इस निर्जन क्षेत्र में कई स्कूलों एवं अस्पतालों को बनवाने एवं चलाने में वे सफल हुए।

बाहरी कड़ी

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संदर्भ

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