पीजीडीसीए कम्प्यूटर कोर्स क्या होता हैं? संपादन

दोस्तों पीजीडीसीए कोर्स को जानने से पहले यह जान लेते हैं कि पीजीडीसीए का फुल फॉर्म क्या होता है। PGDCA का फुल फॉर्म Post Graduate Diploma in Computer Application होता हैं। PGDCA कोर्स एक ऐसा कोर्स होता हैं जिसे आप Graduation के बाद कर सकते है। यह कोर्स एक साल का पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा कोर्स होता हैं जिनमे दो सेमेस्टर होते है। दोस्तो PGDCA कोर्स को आप किसी भी स्ट्रीम यानी B.A, B.Sc, B.COM, B.Ca, B.Tech या किसी भी ग्रेजुएशन प्रोग्राम के बाद कर सकते हैं। PGDCA एक ऐसा Read more

दोस्तों आपको जानकारी के लिए बता दें की PGDCA कोर्स करने के लिए न्यूनतम योग्यता तय की गई है। इस डिप्लोमा कोर्स को करने के लिए आप 10वी और 12वी पास होने के साथ-साथ आपका किसी भी फील्ड से 3 साल का ग्रेजुएशन कंप्लीट होना चाहिए। दोस्तो यदि आप भी Read more

 
घर में मेज पर रखा हुआ एक निजी संगणक

संगणक]]]]

डेटाबेस से आप क्या समझते हैं - (What is Database in Hindi) संपादन

दोस्तों आपको बता दे की डेटाबेस कई सारे डेटा का एक समूह होता है। इन डाटा को डेटाबेस में एक व्यवस्थित तरीके से स्टोर किया जाता है, ताकि जब भी जरूरत पड़ने पर इन्हें आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। इसके लिए किसी भी Software या प्रोग्राम का उपयोग किया जाता हैं। जिस तरह Microsoft office Excel में डाटा को स्टोर करने के लिए एक Table का उपयोग करते है जिसे हम Read more

बेसिक कंप्यूटर कोर्स में क्या क्या सिखाया जाता हैं संपादन

दोस्तों आपको बता दें कि इंडिया में कंप्यूटर से संबंधित कोर्सों की कमी नहीं है लेकिन जितने भी कंप्यूटर कोर्स है उन्हें Work और प्रयोग के आधार पर अलग अलग कैटेगरी में बाटा गया है। जिसमे से एक कोर्स BCC होता हैं जिसे आज के इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे। दोस्तो BCC का पूरा नाम Basic Computer Course होता हैं। इस कोर्स को उन लोगो के लिए तैयार किया गया है। Read more


आधुनिक संगणक

कंप्यूटर - कंप्यूटर क्या है

कंप्यूटर - कंप्यूटर क्या है : कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को स्वीकार करने, संग्रहीत करने, संसाधित करने और डेटा को परिणामों में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। इसमें संग्रहीत तथ्यों को शीघ्रता एवं सटीकता से संसाधित करने की क्षमता है, जिसके कारण इसे "तेज़ कैलकुलेटर" भी कहा जाता है।

कंप्यूटर के प्रकार

सुपर कंप्यूटर : ये कंप्यूटर सबसे तेज़ और सबसे शक्तिशाली होते हैं और आमतौर पर बड़ी गणना या वैज्ञानिक क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं। वे अत्यंत विशिष्ट कार्यों, जैसे जलवायु मॉडलिंग, अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्य बड़े और जटिल कार्यों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

मेनफ्रेम कंप्यूटर : ये बड़े और महत्वपूर्ण कार्यों जैसे बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं, विमानन प्रबंधन और बड़े संगठनों के डेटा केंद्रों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

नेटवर्क कंप्यूटर : ये कंप्यूटर अन्य कंप्यूटरों और उपकरणों के साथ संचार करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनमें संग्रहीत डेटा को साझा करने की क्षमता है, और इन्हें इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ा जा सकता है।

वाणिज्यिक कंप्यूटर : यह एक नई तकनीक है जो क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करती है। ये क्वैबिट का उपयोग करते हैं, जो शास्त्रीय बिट्स की तुलना में एक ही समय में कई राज्यों में हो सकते हैं, जिससे उनकी क्षमता बढ़ जाती है।

एम्बेडेड कंप्यूटर : ये कंप्यूटर अन्य उपकरणों में सुरक्षित रूप से स्थापित होते हैं और आमतौर पर मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल और घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विशिष्ट कार्यों के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।

क्वांटम डोट कंप्यूटर : यह भी एक नई तकनीक है जिसमें क्वांटम डॉट्स का उपयोग किया जाता है। इन्हें नैनोस्केल परिप्रेक्ष्य से डिज़ाइन किया गया है और इनमें बहुत अधिक संख्या में क्वांटम बिट्स हो सकते हैं।

ह्यूमनोइड रोबोटिक्स : इनमें मानव जैसी प्रकृति रखने की क्षमता होती है और इन्हें मानव कौशल का अनुकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि वे आत्मनिर्भर होकर काम कर सकें।

इस प्रकार के कंप्यूटर विभिन्न उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, नए और उन्नत मॉडल बनाए जा रहे हैं।

माइक्रो कंप्यूटर : ये हमारे भौतिक उपयोग के लिए होते हैं, जैसे पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट। ये आमतौर पर व्यक्तिगत उपयोग के लिए होते हैं और गेमिंग, शिक्षा और व्यावसायिक क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं।

मिनी कंप्यूटर : इन्हें विभिन्न व्यावसायिक कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जैसे कि विनिर्माण, वित्त और अन्य उद्योगों में उपयोग किया जाता है।

वर्गीकृत कंप्यूटर : इसमें व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए बनाए गए कंप्यूटर शामिल हैं, जैसे डेस्कटॉप कंप्यूटर और लैपटॉप। ये आम तौर पर कार्यालय उपयोग, गेमिंग और मनोरंजन के लिए होते हैं। Read More


कंप्यूटर (आरू नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक[१]) वस्तुतः एगो अभिकलक यंत्र (programmable machine) छेकै जे देलौ गेलो गणितीय आरू तार्किक संक्रिया सीन क क्रम सँ स्वचालित रूप सँ करै मँ सक्षम छै । एकरा अंक गणितीय, तार्किक क्रिया सिनी आरू दोसरौ बहुत्ते प्रकार के गणना सिनी क सटीकता सँ पूरा करै लेली योजनाबद्ध तरीकाँ सँ निर्देशित करलौ जाबै सकै छै । चूंकि कोय भी कार्य योजना क पूरा करै लेली निर्देशो के क्रम बदललो जाबै सकै छै, ऐ लेली सँ एक सँ जादा तरह के कार्यवाही क अंजाम दियै सकै छै। ई निर्देशन क ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहै छै आरू संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के मदद सँ उपयोगकर्ता के निर्देशो क समझै छै। यांत्रिक संगणक दशकों सँ मौजूद छेलै मतरकि आयकल अभिकलित्र सँ आशय मुख्यतः बीसमो सदी के मध्य मँ विकसित होलो विद्दुत चालित अभिकलित्र सँ छै । तबे सँ अखनी तलक ई आकार मँ क्रमशः छोटो आरू संक्रिया केरो दृष्टि सँ अत्यधिक समर्थ होतें गेलो छै। अबै अभिकलक घड़ी के अन्दर समाबै सकै छै आरू विद्दुत कोष सँ चलैलो जाबै सकै छै। निजी अभिकलक केरो विभिन्न रूप जेना कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आरनि रोजमर्रा केरो जरूरत बनी गेलो छै।

परंपरागत संगणकों मँ एगो केंद्रीय सञ्चालन इकाई (सीपीयू) आरू सूचना भन्डारण वास्तें स्मृति होय छै। सञ्चालन इकाई अंकगडित व तार्किक गणना सिनी क अंजाम दै छै आरू एगो अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति मँ रखलो निर्देशो के आधार पर सञ्चालन केरो क्रम बदलै सकै छै। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं।

एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोडो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है| [२] सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे मे यही राय रखते है की अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि सन्निहित संगणक जो की ज्यादातर उपकरणों जैसे कि एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है।

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को स्वीकार करता है, उसे प्रोसेस करता है और नतीजे प्रदान करता है। यह मानकीकरण करने, जाँचने, संग्रहीत करने, संपादित करने, संचालित करने, और स्थानांतरित करने के लिए उपयोग होता है। कंप्यूटर तकनीकी में एक प्रमुख उपकरण है और आधुनिक जीवन में हमारे दैनिक कार्यों को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है।

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को स्वीकार करता है, उसे प्रोसेस करता है और परिणाम प्रदान करता है। यह तीन मुख्य घटकों से बना है: हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और उपयोगकर्ता।

कंप्यूटर के हार्डवेयर घटक में वे भौतिक तत्व शामिल होते हैं जो कंप्यूटर को शक्ति देते हैं और संचालित करते हैं। इसमें प्रोसेसर, मेमोरी, स्टोरेज डिवाइस, इनपुट डिवाइस (जैसे कीबोर्ड और माउस) और आउटपुट डिवाइस (जैसे मॉनिटर और प्रिंटर) शामिल हैं। हार्डवेयर निर्देशों को क्रियान्वित करने और डेटा में हेरफेर करने के लिए जिम्मेदार है।

सॉफ्टवेयर प्रोग्राम और निर्देशों को संदर्भित करता है जो कंप्यूटर को बताता है कि क्या करना है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज शामिल हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के संसाधनों का प्रबंधन करता है और एक यूजर इंटरफेस प्रदान करता है, जबकि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर विशिष्ट कार्य करता है, जैसे वर्ड प्रोसेसिंग या ग्राफिक डिजाइन। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज प्रोग्रामर को सॉफ्टवेयर बनाने और कंप्यूटर को फॉलो करने के लिए निर्देश लिखने की अनुमति देती हैं।

उपयोगकर्ता कंप्यूटर के साथ इंटरैक्ट करता है और विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमताओं का उपयोग करता है। उपयोगकर्ता डेटा इनपुट कर सकते हैं, कमांड दे सकते हैं और कंप्यूटर से आउटपुट या परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। कंप्यूटर आधुनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं, जिनका उपयोग शिक्षा, व्यवसाय, विज्ञान, कंप्यूटर ग्राफिक्स, कंप्यूटर नेटवर्किंग और इंटरनेट जैसे क्षेत्रों में किया जाता है।

कंप्यूटर सूचना प्रसंस्करण, डेटा भंडारण, हेरफेर और संचार करने में सक्षम हैं। वे अपनी गति, सटीकता और निरंतर प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, कंप्यूटर छोटे, अधिक शक्तिशाली और उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक सुलभ होने के लिए विकसित हुए हैं, जिससे उनका व्यापक उपयोग और समाज के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव पड़ा है।

शब्द व्युत्पत्ति संपादन

कंप्यूटर शब्द का प्रथम प्रयोग वर्ष १६१३ में अंग्रेज लेखक रिचर्ड ब्रेथवेट की पुस्तक '"द यंग मैन ग्लीनिंग्स"' में पाया गया। मैंने समय के सबसे सही कम्प्यूटरों को और धरा पे जन्मे सर्वोत्तम अंक गणितज्ञ को पढ़ा है। [३] यह उस व्यक्ति के बारे में बताता है जो गड़नाएँ (computations) करता था, तभी से यह शब्द २०वी शताब्दी के मध्य तक इस सन्दर्भ मे हूबहू प्रयोग होता आ रहा है। उन्नीसवी शताब्दी के अंत से इस शब्द ने और ज्यादा व्यवहारिक रूप ले लिया, यानी की वो यन्त्र जो गड़नाएँ करता है। संगणकअभिकलित्र नाम [१] भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी किये गए हैं|

इतिहास संपादन

बीसवीं शताब्दि से पहले के संगणक उपकरण संपादन

 
इशांगो कि हड्डी

यांत्रिक रेखीय (एनालॉग) संगणकों का प्रादुर्भाव प्रथम शताब्दी में होना शुरू हो गया था जिन्हे बाद में मध्यकालीन युग में खगोल शास्त्रीय गणनाओ के लिए इस्तेमाल भी किया गया। यांत्रिक रेखीय संगणकों को द्धितीय विश्व युद्ध के दौरान विशेषीकृत सैन्य कार्यो में उपयोग किया गया। इसी समय के दौरान पहले विद्दुतीय अंकीय परिपथ वाले संगणको का विकास हुआ। प्रारम्भ में वो एक बड़े कमरे के आकार के होते थे और आज के आधुनिक सैकड़ों निजी संगणकों [४] के बराबर बिजली का उपभोग करते थे। पहली इलेक्ट्रॉनिक अंकीय संगणक यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में 1940 और 1945 के बीच विकसित किया गया।

गण्नाऍ करने के लिये यन्त्रो का इस्तेमाल हज़ारो वर्षो से होता आ रहा है खासकर उग्लियो से गिनती करने वाले उपकरणो का। शुरुवाती गणन यन्त्र सम्भवत: वो लकड़ी जिस पर गिनती के लिये दांत खोदे गये हो या मिलान छड़ी का एक रूप थी। बाद में मध्य पूर्व में उपजाऊ भूमि के एक भौगोलिक क्षेत्र जो की आकार में अर्द्ध चंद्र जैसा दिखता है में अभिलिेखो को रखने के लिए कॅल्क्युली (मिटटी के गोले, शंकु) का इस्तेमाल होता रहा जो की अधपके और खोखले मिटटी के बर्तनो में रखा होता था। इनका उपयोग सामान की गिनती (अधिकतर पशुधन व अनाज) दर्शाने के लिए किया जाता था। [५][६] गिनती की छड़ों का उपयोग इसका एक उदहारण है।

 
स्वन पन (इस गिनतारे पर प्रदर्शित हो रही संख्या है ६,३०२,७१५,४०८)

शुरुवात में गिनतारे का उपयोग अंकगणितीय कार्यो के लिए होता था। जिसे आज हम रोमन गिनतारा कहते है उसका उपयोग २४०० ईसा पूर्व के प्रारम्भ में बेबीलोनिआ में हुआ था। तब से अब तक गड़ना व हिसाब लगाने के लिए कई अन्य गणन् पट्टियो व गोलियो का आविश्कार हो चुका है। एक मध्ययुगीन युरोपीय गड़ना घर में मेज पर चितकबरे कपडे को रख दिया जाता था और कुछ विशेष नियमो के अनुसार उसपर मोहरों को चलाकर पैसे जोड़ने के लिए एक साधन के तौर पे इस्तेमाल किया जाता था।

 
प्राचीन यूनानी रूपरेखा वाले एंटीकाईथेरा प्रक्रिया १५० से १०० ईसा पूर्व के समय के दुनिया के सबसे पुराने रेखीय संगणक हैं।

डेरेक जे. डी-सोला के अनुसार एंटीकाईथेरा प्रक्रिया को शुरुवाती यान्त्रिक अनुरूप अभिकलित्र माना जाता है।[७] इसे खगोलिय स्थितियो की गडना के लिये बनाया गया था। इसे एंटीकाईथेरा के युनानी द्धीप के एंटीकाईथेरा भग्नावशेष मे १९०१ मे खोज गया था।[८] इसे १०० ईसा पूर्व के समय का पाया गया। ऐसा माना जाता है कि एंटीकाईथेरा प्रक्रिया जैसी जटिलता वाले यन्त्र अगले १००० वर्षो तक मिलने मुश्किल है।

प्राचीन और मध्ययुगीन कालों में खगोलीय गणनाओं के निष्पादन के लिए कई एनालॉग कंप्यूटरों का निर्माण किया गया था। इनमें शामिल हैं प्राचीन ग्रीस की एंटिकिथेरा प्रक्रिया और एस्ट्रॉलैब (लगभग 150-100 ईसा पूर्व), जिन्हें आम तौर पर सबसे प्रारंभिक ज्ञात यांत्रिक एनालॉग कंप्यूटर माना जाता है।[९] एक या अन्य प्रकार की गणनाओं के निष्पादन के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले यांत्रिक उपकरणों के अन्य प्रारंभिक संस्करणों में शामिल हैं प्लेनिस्फेयर और अबू रेहान अल बिरूनी (Abū Rayhān al-Bīrūnī) (लगभग 1000 ईसा पश्चात्) द्धारा आविष्कृत अन्य यांत्रिक संगणन उपकरण; अबू इसहाक इब्राहिम अल ज़र्काली (Abū Ishāq Ibrāhīm al-Zarqālī) (लगभग 1015 ईसा पश्चात्) द्वारा आविष्कृत इक्वेटोरियम और यूनिवर्सल लैटिट्यूड-इंडिपेंडेंट एस्ट्रोलेबल; अन्य मध्ययुगीन मुस्लिम खगोलविदों और इंजीनियरों के खगोलीय एनालॉग कंप्यूटर; और सोंग राजवंश के दौरान सू सोंग (लगभग 1090 ईसा पश्चात्) का खगोलीय क्लॉक टावर।

अल जजारी द्वारा 1206 में आविष्कृत एक खगोलीय घड़ी को सबसे पहला प्रोग्राम योग्य रेखीय संगणक माना जाता है।[१०] यह राशि चक्र, सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं को दर्शाती थी, इसमें एक अर्द्ध-चंद्राकार सूचक एक संपूर्ण प्रवेश द्वारा से होकर गुजरती थी जिसके कारण हर घंटे पर स्वचालित द्धार खुल जाते थे[११][१२] और पांच रोबोटिक संगीतकार जो एक पानी के पहिये (वाटर व्हील) से जुड़े कैमशाफ्ट द्वारा संचालित लीवरों द्वारा मारे जाने पर संगीत बजा दिया करते थे। दिन और रात की लंबाई को वर्ष भर में दिन और रात की बदलती लंबाइयों के लिए उपयुक्त बनाने के क्रम में हर दिन फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है।[१०]

अभिकलित्र केरऽ भाग संपादन

 
निजी अभिकलित्र (पीसी) के प्रमुख भाग

एक अभिकलित्र (संगणक) निम्नलिखित चार भागों से मिलकर बनता है : निविष्ट यंत्र , संसाधन यंत्र , निर्गम यंत्र और भंडारण यंत्र । (युक्ति को यंत्र भी कहा जता है।)

निविष्ट यंत्र संपादन

  • निविष्ट यंत्र उन उपकरणों को कहते हैं जिसके द्वारा निर्देशो और आंकडों को संगणक मे भेजा जाता है। जैसे- कुन्जी पटल (की-बोर्ड), माउस, जॉयस्टिक, ट्रैक बाल आदि।
    1. कीबोर्ड
    2. माउस
    3. माइक्रोफ़ोन या माइक
    4. क्रमवीक्षक (स्कैन्नर), अंकीय कैमेरा
    5. टच-स्क्रीन, टच-पैद

केंद्रीय प्रक्रमन इकाई संपादन

  • केंद्रीय प्रक्रमन इकाई (सीपीयू), संसाधन युक्ति या विचार युक्ति - यह अभिकलित्र की मूल संक्रियात्मक इकाई है जो आगम उपकरणों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुरूप कार्य कर उसे निर्गत इकाई को भेजती है। इसके तीन भाग होते हैं:
    1. बही या पंजी (रजिस्टर) - सबसे पहले जिन आंकड़ों या सूचनाओं पर काम करना होता है, उन्हें अभिकलित्र स्मृति से बही में अंकित किया जाता है। अलग अलग प्रक्रियाओं के लिए अलग अलग बही होते हैं आंकिक एवं तर्क इकाई की संक्रिया के बाद सूचनाएं पुनः बही में दर्ज होती हैं और वापस स्मृती में भेजी जाती हैं।
    2. आंकिक एवं तर्क इकाई - यह इकाई बही में दर्ज सूचनाओं पर निर्देशों के अनुसार कार्य करती है तथा परिणाम को पुनः उपयुक्त बही में दर्ज कर देता है।
    3. नियन्त्रण इकाई - यह केंद्रिय प्रसाधन इकाई की सभी क्रियाओं का नियंत्रण करती है। जैसे कि स्मृति से सूचनाएं बही में वहाँ से आंकिक एवं तर्क इकाई में, वापस बही में तथा वहाँ से स्मृति में वापस जाने की प्रक्रिया पर यह इकाई नियंत्रण रखती है।

सूचना भंडारण उपकरण संपादन

 
पीसी में प्रयुक्त 64MB एसडीरैम (SDRAM)

निर्गम यंत्र संपादन

  • निर्गम यंत्र (आउटपुट डिवाइस)- इसमें वे सभी उपकरण शामिल हैं जिनसे प्रसाधित सूचनाएं या सामग्री मानवीय उपयोगी उत्पाद के रूप में बाहर आती हैं॥ जैसे-
    1. प्रदर्शक (मॉनिटर) - इसकी सहायता से प्रसाधित सामग्री दृश्य रूप में प्रकट होती है॥
      • स्क्रीन स्क्रीन पर चित्र य चल्चित्र प्रकत होते है। ये प्रदर्शक से जुडा होता है।
    2. मुद्रक- इसकी सहायता से निर्गत सामग्री को कागज़ पर मुद्रित किया जाता है। इसे अन्ग्रेजी भाषा मे प्रिनटर भी कहते है।
    3. भोंपू - इसे स्पीकर भी कह्ते है, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ये आवाज निकालने का काम करता है। इस्का उपयोग अभिकलित्र मे चालू किसी भि प्रक्रिया से उत्पन्न आवाज को उप्योगकर्ता तक पहुचाने के लिये किया जाता है।

अभिकलित्र केरऽ प्रकार संपादन

अभिकलित्र का मुख्य कार्य दिये गये आंकड़े को जमा कर उसपर दिए गए निर्देशों के अनुरूप काम कर परिणाम देना है॥ कार्यक्षमता के आधार पर इसे निम्नलिकित श्रेणियों मे बाँटा गया है- सुपर संगणक, मेनफ्रेम संगणक मिनी संगणक, एव माइक्रो संगणक आदि। सुपर संगणक इनमें सबसे बडी श्रेणी होती है, तथा माइक्रो संगणक सबसे छोटी।

  • सुपर संगणक सबसे तेज गति से कार्य करने वाले संगणक होते हैं। वह बहुत अधिक डाटा को काफी कम समय में इंफार्मेशन में बदलने में सक्षम होते हैं। इनका प्रयोग बड़े-बड़े कार्य करने में होता है, जैसे मौसम की भविष्यवाणी, डाटा माइनिंग, जटिल सिमुलेशन, मिसाइलों के डिजाइन आदि। इनमें अनेक माइक्रोप्रोसेसर (MICROPROCESSOR) [एक विशेष छोटी मशीन जो कम्प्यूटिंग के कार्य को काफी आसानी से तथा बहुत ही कम समय में कर सकने में सक्षम होती है।] लगे होते हैं। किसी जटिल गणना को कम समय में पूरा करने के लिये बहुत से प्रोसेसर एकसाथ (पैरेलेल) काम कराने पडते हैं। इसे पैरेलेल प्रोसेसिंग कहा जाता है। इसके अन्तर्गत जटिल काम को छोटे-छोटे टुकडों में इस प्रकार बाँटा जाता है कि ये छोटे-छोटे कार्य एक साथ अलग-अलग प्रोसेसरों द्वारा स्वतन्त्र रूप से किये जा सकें।
  • मेनफ्रेम संगणक, सुपर संगणक से कार्यक्षमता में छोटे परंतु फिर भी बहुत शक्तिशाली होते हैं। इन कम्प्यूटरों पर एक समय में २५६ से अधिक व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं। अमरीका की आईबीएम कंपनी (INTERNATIONAL BUSINESS MACHINE CORPORATION) मेनफ्रेम कंप्युटरों को बनाने वाली सबसे बडी कंपनी है।
  • मिनी संगणक मेनप्रेम कंप्यूटरों से छोटे परंतु माइक्रो कम्प्यूटरों से बडे होते हैं।
  • माइक्रो संगणक (पर्सनल संगणक) सबसे छोटे होते हैं तथा इन्हीं को वैयक्तिक संगणक या पर्सनल संगणक भी कहा जाता है। इसका प्रथम संस्करण १९८१ में विकिसित हुआ था, जिसमे ८०८८ माइक्रोप्रोसेसर प्रयुक्त हुआ था।

अभिकलित्र के गुण संपादन

संगणक हमारे द्वारा दिये जाने वाले हर कार्य को बखूबी करने में सक्षम होते हैं। इनके कुछ गुण इस प्रकार हैं :

गति

संगणक काफी तेज गति से कार्य करते हैं, जब हम संगणक के बारे में बात करते हैं, तो हम मिनी सेकेन्ड, माइक्रो सेकेन्ड में बात नही करते, बल्कि हम 10-12 सेकेन्ड में एक कम्पयूटर कितना कार्य कर लेता है, इस रूप में उसकी गति को आँकते हैं।

न उबना

संगणक कभी भी उबते (बोर) नहीं हैं और यही इनका सबसे अच्छा गुण है, क्योंकि यह एक यंत्र हैं, इसलिये ये काफी दिनों तक बिना किसी शिकायत के कार्य करने में सक्षम होते हैं।

स्मरण करने या संग्रह की क्षमता

एक सामान्य संगणक भी एक बार दिये गये निर्देश को काफी समय तक स्मरण रखने मे सक्षम होता है, तथा जब भी आवश्यकता पडे़, उसे फिर से लिखा और भरा जा सकता है।

उपयोग संपादन

अभिकलन भाषा संपादन

अभिकलित्र जिस भाषा को समझता है उसे द्विआधारी भाषा कहते हैं। वास्तव में यह यंत्र केवल विद्युत धारा के चालू या बंद होने को ही समझता है॥ विद्युत प्रवाह होने एवं रुकने को 0 या 1 के जरिए व्यक्त किया जाता है। इसलिए इसपर कोइ काम करने के लिए इसे इस भाषा में निर्देश या सूचना देना होता है।


यंत्र भाषा संपादन

शुरूआती दिनों में अभिकलित्र को सीधे द्विआधारी भाषा में निर्देश या सूचना दी जाती थी। यंत्र से सीधा संपर्क रहने के कारण इसे यंत्र भाषा (मशीन लैंगुएज) भी कहा जाता था। इस तरह से निर्देश या सूचना देने की यह प्रक्रिया काफी जटिल थी।

संयोजन भाषा संपादन

यंत्र भाषा की जटिलता को कम करने के लिए संयोजक (असेंबलर) की सहायता ली गई। यह ऐसा प्रोग्राम था जो कुछ खास शब्दों को द्विआधआरी संकेतों के समूह में बदल देता था। इस भाषा में प्रत्एक प्रक्रिया के लिए एक सरल शब्द चुन लिए गए थे। इससे द्विआधारी संकेत समूह के बजाय केवल संकेत शब्द लिखकर काम हो जाता था॥ इस संकेतों द्वारा संयोजित तथा संयोजक की सहायता से काम करने वाली भाषा को संयोजन भाषा (असेंबली लैंगुएज) कहा गया।

उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Language) संपादन

असेम्बली लेंगवेज के आने से संगणक प्रोग्रामर्स को सुविधा जरूर मिली, किन्तु इसके लिए प्रोग्रामर को संगणक के हार्डवेयर, तथा इसकी कार्य प्रणाली का सम्पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक होता था। अतः अब और भी सरल भाषायों का विकास किया गया, जिन्हें उच्च स्तरीय भाषा कहा गया। इनमे से कुछ प्रमुख आरंभिक भाषाए कोबोल (COBOL), बेसिक (BASIC), सी (C) थी।
उच्च स्तरीय भाषायों या हाई लेवल लेंगवेजों को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए संकलक (Compiler) और व्याख्याता (Interpreter) की जरूरत पड़ती है।
संकलक या कंपाइलर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम को स्थायी रूप से मशीन भाषा में परिवर्तित करता है, जबकि व्याख्याता या इंटरप्रेटर एक एक पंक्ति करके परिवर्तित करता है।

संदर्भ संपादन

  1. १.० १.१ वैज्ञानिक तथा तकनीकी शव्दावली आयोग द्वारा जारी आधिकारिक सूचना प्रौद्योगिकी शब्दावली
  2. पुराने संगणक जैसे की कोलोसस और एनिअक प्रति छ्ण ५ से १०० क्रिया कलाप कर सकता था। एक आधुनिक “बिकने वाला” माइक्रोप्रोसेसर (२००७ तक) प्रति छ्ण अरबों क्रिया कलाप कर सकते है, और इनमे से अधिकतर कार्य पहले के संगणकों के द्वारा किये जाने वाले कार्यो की तुलना में कही ज्यादा कठिन और उपयोगी होते हैं। लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।
  3. I haue read the truest computer of Times, and the best Arithmetician that euer breathed, and he reduceth thy dayes into a short number. अंग्रेजी version लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।
  4. १९४६ में , ENIAC को लगभग १७४ किलोवॉट बिजली की जरूरत होतो थी। इसकी तुलना में, एक आधुनिक लैपटॉप संगणक को लगभग ३० वॉट बिजली की जरूरत होती है मतलब लगभग ६००० गुना कम। लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।
  5. डेनिस स्क्मान्त-बेस्सेरत|1981 के अनुसार, इन मिट्टी के बर्तनो में निशान होते थे जिनका कुल जोड स्थानान्तरित हो रहे सामान की गिनती होती थी। इस तरह से ये बर्तन किसी बही-खाते का काम करते थे। इन बर्तनो को खुल्कर टूटने से बचाने के लिए पहले निशान कि छाप बर्तन के बाहर बना दी जाती थी, फिर गिनती के लिए छाप के आकार को उस शैली के मोहर पर निकाल लिया जाता था और अंत में निकाले हुए चिन्हों को क्रमानुसार संख्याओं के तरह उपयोग किया जाता था। यही अंक अन्तत: संख्या के रूप मे साम्ने आए। अंततोगत्वा (स्क्मान्त-बेस्सेरत के आकलन के अनुसार इसे ४००० वर्ष लगे।) गिनती की संख्या बताने के लिए जितने चिन्हों की जरूरत होती थी वो बर्तनों के बाहर बने होते थे, और मिट्टी के ये बर्तन बाद मे गिनती के चिन्ह बने हुए मिट्टी की गोलियो के रूप मे विकसित हुए।
  6. लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।. p.5: इराक़ में प्राथमिक लेखा पद्धति के साथ उत्पाद विशिश्ट की गणना प्रतिरूप प्रणाळी के लिए ३२००–३००० ईसा पूर्व में कॅल्क्युली का उपयोग। संतुलित लेखा-बही ३०००–२३५० ईसा पूर्व तक प्रयोग होना शुरु हो गई थी और एक सेक्साजेसिमल संख्या प्रणाली २३५०–२००० ईसा पूर्व तक इस्तेमाल होना शुरु हो गई थी।
  7. The Antikythera Mechanism Research Project, एंटीकाईथेरा प्रक्रिया अनुसन्धान परियोजना. Retrieved 1 July 2007.
  8. पढे: https://web.archive.org/web/20120930075951/http://www.world-mysteries.com/sar_4.htm "एंटीकाईथेरा की खोज" 
  9. Lazos 1994
  10. १०.० १०.१ लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।
  11. हावर्ड आर. टर्नर (1997), साइंस इन मेडिएवल इस्लाम: एन इलस्ट्रेटेड इंट्रोडक्शन, पृष्ठ 184, टेक्सास विश्वविद्द्यालय के प्रेस, आई०एस०बी०एन० 0-292-78149-0
  12. लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।, पृष्ठ 64-9. (सीएफ. डोनाल्ड रूटलेज हिल, मैकेनिकल इंजीनियरिंग)

हिन्न॑ भी देखऽ संपादन

बाहरी कड़ी संपादन