पृथ्वी प कोय समय जीवित रहै वाला अति प्राचीन सजीव के परिरक्षित अवशेष या होकरो द्वारा चट्टान म छोड़लो गेलो छाप क जे पृथ्वी के सतह या चट्टान के परत म सुरक्षित पयलो जाय छै, होकरा जीवाश्म (जीव + अश्म = पत्थर) कहै छै। जीवाश्म स कार्बनिक विकास के प्रत्यक्ष प्रमाण मिलै छै। हेकरो अध्ययन क जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी कहै छै। विभिन्न प्रकार के जीवाशय के निरीक्षण स पता चलै छै, कि पृथ्वी पर अलग-अलग काल म भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु होय छेलै। प्राचीनतम जीवाश्म निक्षेप म सरलतम जीव के अवशेष उपस्थित छै किन्तु अभिनव निक्षेप म क्रमशः अधिक जटिल जीव के अवशेष प्राप्त होय छै। जेना-जेना हम्मे प्राचीन स नया काल के अध्ययन करै छै, जीवाश्म जीवित सजीव स बहुत अधिक मिल्लो-जुल्लो प्रतीत होय छै। अनेक मध्यवर्ती लक्षण वाला जीव बताय छै कि सरल रचना वाला जीव स जटिल रचना वाला जीव के विकास होलो छेलै। अधिकांश जीवाश्म अभिलेखपूर्ण नय छै, परन्तु घोड़ा, ऊँट, हाथी, मनुष्य आदि के जीवाश्म के लगभग पूरा श्रृंखला के पता लगाय जाय चुकलो छै जेकरा स कार्बनिक विकास के ठोस प्रमाण प्राप्त होय छै।