सांस्कृतिक मानवशास्त्र
सांस्कृतिक मानवशास्त्र का परिचय मनुष्य सामाजिक प्राणी छीकै, आरू समूह म रहै छै। विश्व के समस्त जीवधारी म केवल वही संस्कृति के निर्माता छीकै। ई विशेषता के मूल कारण छीकै भाषा। भाषा के ही माध्यम स एक पीढ़ी के संचित अनुभूति भविष्य के पीढ़ी क मिलै छै। प्रत्येक पीढ़ी के संस्कृति के विकास होय छै। संस्कृति परिसर के ऊ भाग छीकै जेकरो निर्माण मानव स्वयं करै छै। ई. बी. टाइलर के अनुसार संस्कृति ऊ समुच्चय के नाम छीकै जे ज्ञान, विश्वास, कला, नीति, विधि, रीति-रिवाज़ तथा अन्य ऐसनो क्षमता आरू आदत के समावंश रहै छै। जेकरा मनुष्य समाज के सदस्य के रूप म मानलो जाय छै।