संख्या
संख्या एगो गणितीय वस्तु छेकै । जेकरो उपयोग मापै, गिनै आरू नामकरण लेली करलो जाय छै । १, २, ३, ४ आरनि प्राकृतिक संख्या सब एकरो सबसँ मूलभूत उदाहरण छेकै।
एकरो अलावा वास्तविक संख्या सब (जेना कि १२.४५, ९९.७५ आरनि) आरू दोसरो प्रकार के संख्या सब भी आधुनिक विज्ञान आऱू प्रौद्योगिकी मँ प्रयुक्त होय छै। संख्या सब अपनो जीवन के ढर्रा क निर्धरित करै छै। केल्विन नँ संख्या सब के बारे मँ कहलै छै कि आपने कोनो परिघटना के बारे मँ कुछ नै जानै छहो जों आपनै ओकरा संख्या द्वारा अभिव्यक्त नै करै सकै छियै।
जीवन केरो कुछ ऐसनो क्षेत्रो मँ भी संख्या सब के अहमियत छै जे एतना आम नै मानलो जाय छै। कोनो धावक के समय मँ 0.001 सेकिंड के अंतर भी ओकरा स्वर्ण दिलाबै सकै छै या ओकरा एकरा सँ वंचित करै सकै छै।
कोनो पहिया के व्यास मँ एक सेंटीमीटर केरो हजारवाँ हिस्सा जेतना फर्क ओकरा कोनो घड़ी लेली बेकार करै सकै छै। कोनो व्यक्ति के पहचान लेली ओकरो टेलीफोन नंबर, राशन कार्ड के पड़लो नंबर, बैंक खाता के नंबर या परीक्षा केरो रोल नंबर मददगार होय छै।
संख्या सिनी केरो उद्भव
संपादनसंख्या सिनी मानव सभ्यता जेतना ही पुरानो छै। आक्सफोर्ड स्थित एशमोलियन अजायबघर मँ राजाधिकार केरो प्रतीक एगो मिस्री शाही दंड (रायल मेस) रखलो छै, जेकरा पर 1,20,000 कैदी, 4,00,000 बैल आरू 14,22,000 बकरी सिनी केरो रिकार्ड दर्ज छै। ई रिकार्ड सँ जे कि 3400 ईसा पूर्व सँ पहलकरो छेकै, पता चलै छै कि प्राचीन काल मँ लोग सिनी बड़ौ संख्या सिनी क लिखै ल जानै छेलै । बेशक संख्या सिनी केरो शुरूआत मिस्रवासियो सँ भी बहुत पहले होलो होतै।
आदिमानव क गिनती सँ एतना वास्ता नै पड़ै छेलै। रहै वास्तें ओकरा लगाँ गुफा छेलै, भोजन गाछ-बिरिछ द्वारा या फिर हथियारो सँ शिकार करी क ओकरा मिली जाय छेलै। मगर करीब 10,000 साल पहलें जबै आदिमानवों नँ गाँमो मँ बसी क खेती के काम आरू पशुपालन आरंभ करलकै त ओकरो जीवन पहलें सँ कहीं अधिक जटिल होय गेलै। ओकरा अपनो रोजमर्रा के कार्यक्रम के साथ अपनो सार्वजनिक आरू पारिवारिक जीवन मँ भी नियमितता लाने के जरूरत महसूस होलै। ओकरा पशुओ के गिनती करै, कृषि उपज के हिसाब रखै, भूमि केरो पैमाइश आरू समय के जानकारी लेली संख्या सब के जरूरत पड़लै। दुनिया केरो विभिन्न भागो मँ जेना कि बेबीलोन, मिस्र, भारत, चीन आरू कईएक आरू स्थानो पर विभिन्न सभ्यता सिनी के निवास छेलै। ई सब सभ्यता नँ संभवतया एक्के समय के दौरान अपनो-अपनो संख्या-पद्धतियो के विकासकरले होतै। बेबीलोन निवासियो के प्राचीन मिट्टी क प्रतिमा सिनी मँ संख्या सब खुदलो मिलै छै।
तेज धार वाला पातरो डंडा सँ हुनी सिनी गीला मिट्टी प शंकु आकार के प्रतीक चिह्नो के खुदाई करै छेलै, बाद मँ एकरा ईंटो के शक्ल दै दय रहै। एक (1), दस (10), सौ (100) आरनि लेली विशेष प्रतीको के इस्तेमाल करलो जाय रहै। ई प्रतीको के पुनरावृत्ति द्वारा ही हुनी सिनी कोनो संख्या क प्रदर्शित करै रहै । जेना कि 1000 क लिखै लेली हुनी प्रतीक चिह्न के सहारा लै छेलै या फिर 100 केरो संख्या क दस बार लिखै छेलै। बेबीलोनवासी काफी बड़ा संख्या सिनी केरो गिनती क 60 केरो संख्या के माध्यम सँ ही करै छेलै । जेना कि आजकल अपना सिनी संख्या 10 के माध्यम सँ अपनो गिनती करै छियै। मिस्र केरो प्राचीन निवासी भी बड़ौ संख्या सिनी के गिनती करै लेली जानै छेलै । हुनका लगाँ साल मँ 365 दिन होय के जानकारी उपलब्ध छेलै।
संख्या सिनी केरो विकास
संपादनमूलतः संख्या केरो मतलब 'प्राकृतिक संख्या ' सिनी सँ लेलो गेलो छै। आगू चली क आस्तें-आस्तें 'संख्या' केरो क्षेत्र विस्तृत होलो गेलै तथा पूर्णांक, परिमेय संख्या, वास्तविक संख्या सँ ल करी क समिश्र संख्या तलक पहुँची चुकलो छै।
संख्या के समुच्चय मँ ई सम्बन्ध छै:
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समिश्र संख्या | quaternions |
संख्या सिनी केरो महत्व
संपादनएगो आम आदमी केरो जीवन के निम्नांकित स्थिति प नजर डालियै:
1. भोरे-भोर अलार्म घड़ी केरो आवाज दफ्तर जाय वाला क जगाबै छै। ‘‘छो बजी गेलै; अबै उठना चाहियो।’’ ई तरह वू व्यक्ति के दिनचर्या के शुरूआत होय छै।
2. बस मँ कंडक्टर यात्री सँ कहै छै : ‘‘चालीस पैसा आरू द।’’
यात्री : ‘‘कैन्हें हम्में त आपनै क सही भाड़ा द चुकलो छियै।’’
कंडक्टर : ‘‘भाड़ा अबै 25 प्रतिशत बढ़ी गेलो छै।’’
यात्री : ‘‘अच्छा, ई बात छै।’’
3. एगो गृहिणी कोनो महानगर मँ दूध के बूथ प जाय क कहै छै, ‘‘ हमरा दू लीटर वाला एगो थैली द।’’
‘‘हमरा जिमा मँ दू लीटर वाला थैली नै छै।’’
‘‘ठीक छै, तबे एक्के लीटर वाला एगो थैली आरू आधो-आधो लीटर वाला दो थैली ही आपनै हमरा द दियै।’’
4. एगो रेस्तरां मँ बिल प नजर दौड़ैतें एगो ग्राहक कहै छै : ‘‘वेटर ! तोंय बिल केरो पैसा ठीक सँ नै जोड़ले छो। बिल 9.50 के बजाए 8.50 रु. काे होना चाहियो।’’
‘‘हमरा अफोसस छै, श्रीमान् !’’
ई कुछ ऐसनो स्थिति सिनी छेकै, जे संख्या सिनी कक रोजमर्रा केरो जीवन मँ इस्तेमाल क दर्शाबै छै।
- अंक (डिजिट)
- स्थानीय मान
- भूतसंख्या पद्धति
- कटपयादि संख्या पद्धति
- आर्यभट केरो संख्यापद्धति
- संख्या सिद्धान्त
- अभाज्य संख्या या रूूूढ़ संख्याा (प्राइम नम्बर)
- गणितीय नियतांक
- भौतिक नियतांक
- परिमाण केरो कोटि (ऑर्डर ऑफ मैग्निट्यूड)